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रामनवमी पूजा

🌸 "रामनवमी: मर्यादा पुरुषोत्तम के जन्म का पावन उत्सव" 🌸

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रामनवमी हमारे देश का एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाये जाने वाला त्यौहार है। इस पर्व के साथ ही साथ माँ के नौ दिनों का समापन भी होता है, कहा जाता है कि इस दिन बहोत से लोग व्रत करके विधि-विधान से पूजा-पाठ करते है तथा यह पर्व भारत में श्रद्धा तथा आस्था के साथ मनाया जाता है ! कहा जाता है की इस भगवान श्री राम का जन्म हुआ था इसी कारण इस दिन रामनवमी मनाई जाती है
रामनवमी भगवान श्रीराम के जन्म का पर्व है, जो चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल अयोध्या के राजकुमार के जन्म की याद दिलाता है, बल्कि धर्म, मर्यादा, सेवा, और सत्य के आदर्शों की पुनःस्थापना का प्रतीक भी है। श्रीराम का जीवन एक ऐसा दीपस्तंभ है जो हर युग के मनुष्य को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देता है। इस दिन घरों और मंदिरों में राम जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, श्रीराम की झांकी सजती है, सुंदरकांड और रामचरितमानस का पाठ होता है, और "जय श्रीराम" के जयघोष से वातावरण भक्तिमय हो उठता है।

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🪔 "रामनवमी: राम नाम में ही है हर दुख का समाधान"


रामनवमी केवल एक जन्मतिथि नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम की जीवनशैली को अपनाने का आह्वान है। जब जीवन में असमंजस, अन्याय और कठिनाइयाँ हों, तब श्रीराम की मर्यादा, धैर्य और त्याग प्रेरणा बनते हैं। इस पावन अवसर पर रामनाम का जप न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आत्मबल भी जाग्रत करता है। यह दिन हर हृदय को राममय बना देने वाला पर्व है। रामनवमी का पर्व हमें यह याद दिलाता है कि श्रीराम केवल त्रेता युग के नहीं थे, वे हर युग के लिए हैं। उनका आचरण, उनका निर्णय, उनकी करुणा और न्यायबुद्धि आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। राम का नाम जपते ही मन में श्रद्धा, भक्ति और शक्ति का संचार होने लगता है। आज के दिन हम श्रीराम के आदर्शों को जीवन में उतारने का संकल्प लें।

रामनवमी वह दिव्य घड़ी है जब भक्त का मन पूरी तरह श्रीराम की भक्ति में लीन हो जाता है। मंदिरों की घंटियाँ, संकीर्तन की ध्वनि, और श्रीराम जन्म के जयकारे पूरे वातावरण को पवित्र कर देते हैं। यह दिन भक्त और भगवान के बीच के उस भावनात्मक जुड़ाव का उत्सव है जिसे शब्दों में नहीं, सिर्फ अनुभव में ही पाया जा सकता है। रामनवमी अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। जिस तरह श्रीराम ने सच्चाई और मर्यादा के साथ रावण का अंत किया, वैसे ही यह दिन हमें अपने भीतर के 'रावण' — अहंकार, क्रोध, लोभ और मोह — से लड़ने का साहस देता है। श्रीराम की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब हम उनके जैसे आचरण का प्रयास करें।

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