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Navagreh-Shanti Puja

🪐 "नवग्रह शांति पूजन – जीवन में संतुलन और समृद्धि का मंत्र" 🪐

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॥शनिदेव, सूर्य, गुरु, मंगल, चंद्रमा, बुध, शुक्र और राहु-केतु को नवग्रह कहा जाता है. नवग्रह पूजन का विशेष रूप से महत्व पुराणों में वर्णित है| नवग्रह-पूजन के लिए सबसे पहले ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है| मूर्ति के स्वरूप: के लिए नवग्रह शांति का होना सबसे आवश्यक है उस ग्रह की प्रतिमा का होना। भविष्यपुराण के अनुसार ग्रहों के स्वरूप के अनुसार प्रतिमा बनवाकर उनकी पूजा करनी चाहिए। घर में सुख-शान्ति के लिए भी आप पंडित जी लखनऊ के माध्यम से नवग्रह शांति की पूजा करा सकते है !
नवग्रह शांति पूजन उन नौ ग्रहों की शांति के लिए किया जाता है जो हमारे जीवन की घटनाओं, भाग्य, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। यह पूजन विशेष रूप से तब किया जाता है जब कुंडली में ग्रह दोष, राहु-केतु की दशा, शनि साढ़ेसाती, या अन्य अशुभ प्रभाव दिखाई देते हैं। इस पूजन में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – इन नौ ग्रहों का विधिवत आवाहन कर, उनके मंत्रों से पूजन, हवन और दान आदि किए जाते हैं, जिससे ग्रहों की शांति होकर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

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🕉️ "ग्रह दोष नाशक पूजन: कुंडली के दोषों का शास्त्रसम्मत उपचार"


कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, राहु-केतु की महादशा, मंगल दोष या गुरु चांडाल योग जैसे दोष व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। नवग्रह पूजन और होम (हवन) द्वारा इन दोषों का शास्त्र सम्मत निवारण संभव है। जब ग्रह शांत होते हैं, तो जीवन में शांति, सफलता और सकारात्मकता स्वतः आने लगती है।

🌞 "नवग्रह पूजन: जीवन के ग्रहों को करें शांत, भाग्य को करें जागृत"

नवग्रह हमारे जीवन के हर पहलू – स्वास्थ्य, संबंध, करियर और मनोबल – को प्रभावित करते हैं। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल होती है, तब जीवन में रुकावटें, मानसिक तनाव, आर्थिक संकट या असफलताएँ सामने आती हैं। नवग्रह पूजन द्वारा हम इन ग्रहों को प्रसन्न कर उनके अशुभ प्रभावों को कम और शुभ प्रभावों को जागृत कर सकते हैं। यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो संतुलन, शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।

Navgrah shanti pooja

📿 मंत्र उच्चारण का महत्व

ॐ आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च। गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥
"मैं आदित्य (सूर्य), सोम (चंद्रमा), मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहु और केतु — इन सभी नौ ग्रहों को नमस्कार करता हूँ।"

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