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Holi

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🌼 "भक्ति के रंगों से सजे होली पूजन की पावन परंपरा" 🌼

होली भारत का एक बड़ा पर्व है , यह होलिका या होलाका नाम से जाना जाता है । वसंत की ऋतु में मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा जाता है। होली के त्यौहार से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। होली में सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। कहा जाता है कि प्राचीन काल में हिरणकश्यप नाम का एक अत्यंत शक्तिशाली असुर रहता था। अपने बल के अहंकार में वह खुद को भगवान् मानने लगा था। वह अपने राज्य में किसी को भी भगवन की पूजा नही करने देता था। हिरणकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान् का भक्त था परन्तु हिरणकश्यप को यह पसंद नहीं था इसीलिए वह उसको अनेको दंड देता था। जब इससे उसे कुछ हाशिल नई हुआ तो उसने अपनी बहन को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठे, चूँकि होलिका को यह वरदान था की वह आग में नहीं जल सकती, परन्तु आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। उसी दिन से ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।

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🌟 "होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व" 🌟


होलिका दहन होली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग अग्नि प्रज्ज्वलित कर भगवान विष्णु, प्रह्लाद और होलिका की कथा का स्मरण करते हैं। यह परंपरा हमें सिखाती है कि जब भी सच्ची आस्था और भक्ति होती है, तब ईश्वर स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। इस पावन अवसर पर बुरे विचारों को जलाएं और नव ऊर्जा के साथ रंगों का स्वागत करें।

🌈 "रंगों से पहले हो भक्ति का रंग – होली पूजन का महत्व" 🌈

होली की पूर्व संध्या पर किया गया पूजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि यह एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। महिलाएं विशेष रूप से पूजन में भाग लेकर परिवार के सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं। अग्नि की परिक्रमा कर आशीर्वाद लिया जाता है, जिससे जीवन में नया उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है।

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