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दीपावली

🪔"दीपों का पर्व: अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा"

भारत का सबसे बड़ा ज्योतिष,  समस्या समाधान संबंधी प्रश्न

दीपावली, जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टियों से अत्यधिक महत्व है। यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने और सत्य की विजय का प्रतीक है। शास्त्रों में कहा गया है —
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” - अर्थात्, हे प्रभु! हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।

दीपावली केवल हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोग भी इसे बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। जैन धर्म के अनुयायी इसे भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। सिख समुदाय के लिए यह बंदी छोड़ दिवस के रूप में महत्वपूर्ण है। दीपावली का ऐतिहासिक महत्व किंवदंती के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने उनके स्वागत में घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की अमावस्या की वह रात्रि दीपों की रोशनी से जगमगा उठी। तभी से यह पर्व प्रतिवर्ष हर्ष, उल्लास और प्रकाश के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

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🌼 "दीवाली: घर-घर लक्ष्मी के स्वागत की शुभ बेला"


धन, वैभव और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का स्वागत करने का सबसे शुभ अवसर है दीपावली। घर की साफ-सफाई, दीप सज्जा, रंगोली, और लक्ष्मी पूजन – ये सब न केवल परंपरा हैं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम हैं। जब पूरे परिवार के साथ दीपक जलते हैं और लक्ष्मी माता का पूजन होता है, तो वह क्षण घर को दिव्यता से भर देता है। दीवाली उस शुभ अवसर की याद है जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में नगरवासियों ने दीप जलाए थे। तब से लेकर आज तक दीपावली सत्य, धर्म और मर्यादा की विजय का प्रतीक बनी हुई है। हर दीपक श्रीराम की याद में ही जलाया जाता है – जो यह दर्शाता है कि जब सत्य लौटता है, तब दीप जलते हैं।

🎇 "रौशनी, रिश्ते और रसमों से सजी दिवाली"

दीवाली वह समय है जब केवल घर नहीं, रिश्ते भी रोशन होते हैं। एक-दूसरे को मिठाई देना, उपहार बाँटना और मुस्कानें साझा करना, इस पर्व को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवीय भी बना देता है। यह त्योहार हमें साथ रहना, साथ निभाना और साथ मनाना सिखाता है।

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