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Moolshanti Pooja

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🕉️ मूल शांति पूजा क्या है?

॥वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब किसी शिशु का जन्म गण्डमूल नक्षत्र में हो तो इसको गंडमूल दोष कहा जाता है। इसके कारण बालक और उसके माता-पिता एवं भाई-बहिनों के जीवन पर कष्टकारी प्रभाव पड़ता है कहा जाता है की इस दिन जन्मे बच्चे का मुख पिता बिना पूजा कराये नहीं देख सकते वह पूजा के उपरांत ही बच्चे का मुख देखते है! इसलिए इस नक्षत्र में पैदा हुए शिशु और उसके परिजनों की भलाई के लिए मूल शांति की पूजा कराना अतिआवश्यक होता है। बेस्ट पंडित इन लखनऊ के द्वारा मूल शान्ति की पूजा तथा उपाए कराये जाते है है ॥

मूल शांति पूजा एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है जो उन जातकों के लिए किया जाता है जिनका जन्म विशेष नक्षत्रों—जैसे कि मूल, आर्द्रा, अश्विनी, आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती आदि में हुआ हो। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ये नक्षत्र कुछ विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं जो व्यक्ति के जीवन में शारीरिक, मानसिक या पारिवारिक बाधाओं का कारण बन सकते हैं। इस पूजा से इन नकारात्मक प्रभावों का शमन किया जाता है।

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🪔 मूल नक्षत्र का महत्व


यदि किसी व्यक्ति का जन्म मूल नक्षत्र में होता है, तो उसकी कुंडली में कुछ विशेष ग्रह दशाएँ बनती हैं। विशेषकर यदि संतान का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है, तो उसके माता-पिता या परिवार पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए यह पूजा बालक के जन्म के तुरंत बाद या जीवन में किसी उपयुक्त समय पर आवश्यक मानी जाती है।

  • मूल दोष से उत्पन्न जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए
  • विवाह, संतान सुख और स्वास्थ्य में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए
  • बुरी नजर, मानसिक तनाव, अकाल मृत्यु और रोगों से मुक्ति के लिए

मूल शांति पूजा में विशेष मंत्रोच्चारण, नक्षत्र शांति, हवन, ब्राह्मण भोजन और दान का विधान होता है। पूजा प्राचीन वेदों के अनुसार योग्य पंडितों द्वारा संपन्न की जाती है। इसमें जातक का नाम, जन्म समय, जन्म स्थान और नक्षत्र के अनुसार विशेष विधि अपनाई जाती है।

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📿 मंत्र उच्चारण का महत्व

"ॐ नमः शिवाय" का जाप मानसिक शांति, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। यह पंचाक्षरी मंत्र रुद्राभिषेक का मुख्य स्तम्भ होता है।

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:। रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:। ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।

अर्थात भगवान रूद्र ही जग सृष्टिकर्ता ब्रह्मा तथा जग पालन पोषण करता विष्णु हैं और सभी देवता रुद्र के ही अंश हैं। इस सम्पूर्ण चराचर जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।

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