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महालक्ष्मी पूजा

🌺 "महालक्ष्मी पूजन: माँ लक्ष्मी के आगमन का पावन निमंत्रण" 🌺

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महालक्ष्मी की पूजा प्रतिदिन ही करना चाहिए! महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मॉस की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारम्भ होता है! यह व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद से मनाया जाता है, तथा महालक्ष्मी व्रत लगातार सोलह दिन तक मनाया जाता है, धन और सृमद्धि के लिए तथा माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है, इसी दिन दूर्वा अष्टमी का व्रत भी रखा जाता हो तथा इसी दिन दूर्वा घास की पूजा की जाती है. भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा जयंती या राधा अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है !

महालक्ष्मी पूजन एक शुभ अवसर है जब हम माँ लक्ष्मी का विधिपूर्वक आवाहन कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में समृद्धि, शांति और सौभाग्य की कामना करते हैं। दीपों की रोशनी, गंधपूर्ण पुष्प, और भक्तिभाव से भरा वातावरण माँ को प्रसन्न करता है। यह पूजन केवल धन की प्राप्ति का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी है। आइए इस पावन दिन पर अपने घर को बनाएं माँ लक्ष्मी का वासस्थल।

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💫 "दीप, मंत्र और श्रद्धा – यही है महालक्ष्मी पूजन की सच्ची भावना" 💫


महालक्ष्मी मंत्र - ॐ ह्रीं नमः!
॥ कहा जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है. साथ ही धन से जुड़ तमाम परेशानियां भी नष्ट होती हैं. इस मंत्र का जाप आप किसी एकांत जगह पर बैठकर करें. इसके लिए सुबह या शाम का कोई भी समय चुन सकते है ॥
महालक्ष्मी पूजन केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि यह एक आंतरिक आभार की अभिव्यक्ति है – उस देवी के प्रति, जो हमें जीवन, धन, और संतुलन प्रदान करती हैं। माँ लक्ष्मी की पूजा से मन, घर और परिवार में सुकून की अनुभूति होती है। इस दिव्य अवसर पर श्रद्धा से पूजन कर माँ से प्रार्थना करें कि वे अपने कृपा-कणों से आपके जीवन को आलोकित करें।

🏵️ "महालक्ष्मी पूजन से करें सौभाग्य का स्वागत" 🏵️

महालक्ष्मी पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और दरिद्रता का नाश होता है। यह पूजा विशेषकर शुक्रवार, पूर्णिमा या दीपावली पर की जाती है और इसमें माँ लक्ष्मी के 16 रूपों की स्तुति की जाती है। लक्ष्मीजी को कमल, अक्षत, गंध और प्रसाद अर्पित कर, मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना की जाती है।

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