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दीपावली

🔱 "नवरात्रि: शक्ति, भक्ति और साधना का महान पर्व"

Pandit contact number near me,  पंडित जी से सवाल

हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति/देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ,अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। ऑनलाइन पंडित इन लखनऊ के माध्यम से हमारे यहाँ के पंडित नौ दुर्गों में माँ की विशेष पूजा कराते है! नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार है नन्दा देवी योगमाया (विंध्यवासिनी शक्तिपीठ), रक्तदंतिका (सथूर), शाकम्भरी (सहारनपुर शक्तिपीठ), दुर्गा(काशी), भीमा (पिंजौर) और भ्रामरी (भ्रमराम्बा शक्तिपीठ) नवदुर्गा कहते हैं। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का वह शुभ अवसर है, जब श्रद्धालु अपने भीतर की शक्ति को जाग्रत करने का प्रयास करते हैं। यह केवल देवी की उपासना का पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, आत्मबल और आत्मविश्वास को बढ़ाने का पर्व भी है। नौ रातें, नौ रूप, नौ रंग — नवरात्रि हर दिन एक नई ऊर्जा लेकर आती है। माँ दुर्गा के चरणों में अर्पित भक्ति हमें आंतरिक शांति और बाह्य ऊर्जा दोनों प्रदान करती है।

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🪔 "माँ के नौ रूप, नवसंकल्पों की प्रेरणा"


हर दिन माँ दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा करते हुए हम उनके गुणों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। माँ शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक — हर रूप हमें धैर्य, साहस, ज्ञान, प्रेम और निर्भयता का पाठ पढ़ाता है। नवरात्रि, केवल उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना यात्रा है जो हमारे जीवन को नई दिशा देती है।

🙏 "नवरात्रि का व्रत: तन की शुद्धि, मन की भक्ति"

व्रत के माध्यम से हम न केवल अपने शरीर को शुद्ध करते हैं, बल्कि मन की चंचलता को भी नियंत्रित करते हैं। फलाहार, जाप, और भजन के साथ की गई पूजा माँ की विशेष कृपा का पात्र बनाती है। नवरात्रि का व्रत केवल नियमों का पालन नहीं, एक श्रद्धापूर्ण समर्पण है जो जीवन को ऊर्जा, संतुलन और भक्ति से भर देता है। नवरात्रि की संध्याएँ माँ की आरती से जगमगाने लगती हैं। दीपों की लौ, शंख की ध्वनि, घंटियों की गूंज, और भक्तों की श्रद्धा — सब मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाते हैं, जिसमें देवी स्वयं विराजमान प्रतीत होती हैं। यही वह समय होता है जब मन सभी चिंताओं को भूलकर माँ के चरणों में समर्पित हो जाता है।

Pandit ji for navratri puja

📿 मंत्र उच्चारण का महत्व

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके,शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते
अर्थ: शुभ कार्यों में सर्वाधिक शुभ करने वाली मंगलदायिनी, (भक्त के) सभी पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) साधने वाली तथा उसे शरण देने वाली, गौर वर्ण तथा तीन नेत्रों वाली हे नारायणी! आपको हमारा नमन।

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