ऐसा माना जाता है की इस दिन माँ पार्वती तथा महादेव का मिलान हुआ था- तभी से ऐसी मान्यता है इस व्रत को रखने से माता पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्रदान करती है! कहते है यह त्यौहार वैसे तो तीन दिनों में मनाया जाता है लेकिन समय की कमी होने की वजह से अब इसे लोग एक ही दिन में मनाते है इसमें पतिव्रता पत्नियां अपने पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं! हरितालिका तीज के दिन भगवान् शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है! इस दिन सभी सुहागिनें अपनी पति की लम्बी आयु के लिए निराहार व्रत रखती है ! हिन्दू धर्म में सभी व्रतों की तुलना में यह व्रत सबसे कठिन माना गया है, इस व्रत को करना बहुत ही फलदायी होता है, कहते है की इस दिन कुछ भी नहीं खाना चाहिए हालांकि गर्भवती और बीमार महिलाओं को इसकी छूट होती है मान्यता है की इस व्रत में सोना नहीं चाहिए इस दिन रात्रि जागरण करके सुबह ककड़ी व हलवे का प्रसाद लगाकर उसे ही स्वम को भी लेना चाहिए तथा उसी से अपना व्रत खोलना चाहिए कहते है - तीज के दिन भगवान् को खीर का भोग लगाकर उसे अपने पति को खिलाना चाहिए तथा दुसरे दिन खुद भी खाएं इससे दाम्पत्य जीवन खुशहाल बना रहता है !
हरितालिका तीज का व्रत इस बार ३० अगस्त के दिन है, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह ६ बजकर ५ मिनट से शुरू होकर ८ बजकर ३८ मिनट तक है भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरम्भ २९ अगस्त २०२२ दोपहर ३ बजकर २० मिनट पर शुरू किया जायेगा, वही तिथि का समापन ३० अगस्त, २०२२ दोपहर ३ बजकर ३३ मिनट पर होगा!
॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥
॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥