भारतीय ज्योतिष का इतिहास,  ज्योतिषाचार्य का नंबर

महालक्ष्मी पूजा

महालक्ष्मी की पूजा प्रतिदिन ही करना चाहिए! महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मॉस की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारम्भ होता है! यह व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद से मनाया जाता है, तथा महालक्ष्मी व्रत लगातार सोलह दिन तक मनाया जाता है, धन और सृमद्धि के लिए तथा माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है, इसी दिन दूर्वा अष्टमी का व्रत भी रखा जाता हो तथा इसी दिन दूर्वा घास की पूजा की जाती है. भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा जयंती या राधा अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है !

महालक्ष्मी मंत्र

ॐ ह्रीं नमः!

॥ कहा जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है. साथ ही धन से जुड़ तमाम परेशानियां भी नष्ट होती हैं. इस मंत्र का जाप आप किसी एकांत जगह पर बैठकर करें. इसके लिए सुबह या शाम का कोई भी समय चुन सकते है ॥

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॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥

॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥