॥ किसी भी कामना की पुर्ति हेतु किया गया आध्यात्मिक कर्म ही अनुष्ठान कहलाता है इसमें विपरीत मार्ग से किया गया अनुष्ठान सकाम सात्विक अनुष्ठान होता है तथा विपरीत (तंत्र मार्ग ) से कामनात्मक किया गया अनुष्ठान तामस अनुष्ठान कहलाता है | पंडित जी ऑनलाइन के माध्यम से आप विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करा सकते है मनुष्यों को विविध कामनाओं से विविध अनुष्ठानो को करना चाहिए कुछ विशेष कामनाओं की पूर्ति हेतु निम्न अनुष्ठान बतलाये गए हैं ॥
॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥
॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥