छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है! पौराणिक मान्यता के अनुसार षष्ठी माता संतानो की रक्षा करती है तथा अपनी कृपा उनपे बनायीं रखती है, इस अवसर पर सूर्यदेव की पत्नी उषा और प्रत्युषा को भी अर्घ्य देकर व पूजा की जाती है! छठ व्रत में सूर्यदेव और षष्ठी देवी दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है! इस पूजा का बड़ा महत्व होता है छठ पूजा को कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मबिहार नाया जाने वाला हिन्दू पर्व है! इसे बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रो में मनाया जाता है! कहा जाता है यह त्यौहार बिहारियों का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है !
कहा जाता है की मुग्दल ऋषि ने माँ सीता के ऊपर गंगा को छिड़क कर पवित्र किया तथा कार्तिक मॉस के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया ! यही रहकर माता सीता ने छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान् की पूजा की थी ! और इसी दीन से यह मान्यता है की सूर्योपासना का महान पर्व छठ का आरम्भ हुआ !
॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥
॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥