ज्योतिष प्रश्न उत्तर,  ऑनलाइन ज्योतिष चैट फ्री

Rudrabhishek

रुद्राभिषेक अर्थात रुद्र का अभिषेक। रूद्र यानि भगवान शिव का अभिषेक अर्थात भगवान शंकर को जब स्नान कराया जाता है तो उसे रुद्राभिषेक की कहते हैं। रुद्राभिषेक मंत्र द्वारा किया जाने वाला एक शक्तिशाली ऊर्जा पूर्ण कार्य है, जिसकी वजह से भगवान शिव की असीम अनुकंपा शीघ्र ही प्राप्त होती है। बेस्ट पंडित इन लखनऊ के द्वारा यह पाठ बड़े ही विधि-विधान से कराया जाता है! रुद्राभिषेक मंत्रों द्वारा किया जाता है और वास्तव में रुद्राभिषेक मंत्र कोई एक मंत्र नहीं बल्कि मंत्रों का समूह है, जो 'शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी' के रूप में भी जाना जाता है। इसे केवल 'रुद्राष्टाध्यायी' भी कहते हैं और “रुद्री पाठ” के नाम से भी इसको जाना जाता है। रुद्राभिषेक मंत्र की विशेषता रुद्राभिषेक मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सटीक और अचूक उपाय है क्योंकि इसके पाठ अथवा जप करने से भगवान शिव व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाओं से संपूर्ण बनाते हैं और उसके जीवन में चली आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है। अर्थात भगवान शिव की कृपा को शीघ्र अति शीघ्र प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार भगवान शिव ही और रूद्र माने जाते हैं और रुद्र ही शिव माने जाते हैं। कहा भी गया है रूतम् दुःखम्, द्रावयति नाशयतीतिरूद्रः । भगवान शिव, जो रुद्र के रूप में प्रतिष्ठित हैं, वे हमारे जीवन के सभी दुखों एवं कष्टों को शीघ्र ही नष्ट अर्थात समाप्त कर देते हैं।

Effects of Rudrabhishek

रुद्राभिषेक मंत्र की शक्ति इतनी अधिक होती है कि जिस क्षेत्र में भी इसका जप किया जाता है, उससे कई किलोमीटर तक के हिस्से में शुद्धता आ जाती है और वहां की नकारात्मकता का अंत होता है। यह ग्रह जनित दोषों का भी अंत करता है और यदि आपके आसपास कोई बीमार व्यक्ति है, तो उसको बीमारी से छुटकारा भी इस रुद्राभिषेक मंत्र के द्वारा मिल सकता है।

Rudrabhishek Mantra

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।

अर्थात भगवान रूद्र ही जग सृष्टिकर्ता ब्रह्मा तथा जग पालन पोषण करता विष्णु हैं और सभी देवता रुद्र के ही अंश हैं। इस सम्पूर्ण चराचर जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।