॥ सत्य को नारायण (विष्णु जी के रूप में पूजना ही सत्यनारायण भगवान की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र भगवान नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से भगवान का सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। इसमें सत्य को ही नारायण (विष्णु जी के रूप में सत्यनाराण भगवान् है, इसका दूसरा अर्थ यह भी है की- संसार में एकमात्र भगवान् नारायण ही सत्य है, बाकी सब मोह-माया है सत्यनारायण भगवान को विष्णु भगवान् का ही अवतार माना गया है इसीलिए सत्यनारायण कथा कराने व सुनने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है ! तथा घर में पूर्वजो को भी शान्ति मिलती है तथा वे प्रशन्न होकर आशीर्वाद देते है , इस कथा से संतान, यश ,कीर्ति, वैभव ,संपत्ति तथा सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है ! कहते है- पूर्णिमा में सत्यनारायण की कथा कराना काफी फलदाई माना गया है ! इस कथा से वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, यश, कीर्ति, वैभव, पराक्रम, संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य और शुभता का वरदान मिलता है। यह कथा घर में कराने से पूर्वजों को भी शांति और मुक्ति मिलती है। वे प्रसन्न होकर आशीष देते हैं।
॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥
॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥