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महामृत्युंजय जाप

भगवान् शिव को ही मृत्युंजय कहा गया है! महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान् शिव की कृपा प्राप्त होती है महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु से भय ख़त्म होता है! माना जाता है की इस मंत्र का जाप करने से बड़े-से-बड़ा रोग भी ख़त्म हो जाता है, स्नान करते वक्त हम यह मंत्र का जाप करें तो हमें आरोग्यता प्राप्त होती है! इस मंत्र के जाप से धन-दौलत की कमी कभी नहीं होती, तथा इससे कुंडली के कई दोष भी दूर होते है!

॥ शिवपुराण के अनुसार, इस मंत्र के जप करने से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।

महामृत्युंजय का जाप कब और कैसे करें -

महामृत्युंजय मंत्र का जाप सुबह और शाम दोनों ही समय किया जा सकता है, अगर कोई संकट की स्थति है तो इस मंत्र का जाप कभी भी किया जा सकता है इस मंत्र का जाप अगर शिवलिंग के सामने बैठ के रुद्राक्ष की माला से किया जाये तो और लाभप्रद है! सबसे पहले भगवान शिव को स्नान करके बेलपत्र चढ़ाये और उसके पश्चात ही महामृत्युंजय जाप करें!

महामृत्युंजय मंत्र-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

अर्थ- हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

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॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥

॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥