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रुद्राभिषेक पूजा

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रुद्राभिषेक का महत्व

रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को समर्पित अत्यंत शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान है। यह पूजा विशेष रूप से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और समस्त बाधाओं के निवारण हेतु की जाती है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर विशेष विधियों से पंचामृत, बेलपत्र, जल और मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक मंत्र की शक्ति इतनी अधिक होती है कि जिस क्षेत्र में भी इसका जप किया जाता है, उससे कई किलोमीटर तक के हिस्से में शुद्धता आ जाती है और वहां की नकारात्मकता का अंत होता है। यह ग्रह जनित दोषों का भी अंत करता है और यदि आपके आसपास कोई बीमार व्यक्ति है, तो उसको बीमारी से छुटकारा भी इस रुद्राभिषेक मंत्र के द्वारा मिल सकता है।

  • मनोकामना पूर्ति एवं रोग मुक्ति हेतु प्रभावी
  • कालसर्प दोष और पितृदोष निवारण में सहायक
  • शिव पुराण अनुसार सर्वश्रेष्ठ पूजा विधि
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रुद्राभिषेक भगवान शिव, जिन्हें भगवान शंकर के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा-अर्चना और अभिषेक की एक अत्यंत पवित्र विधि है। इस अनुष्ठान में भगवान शिव का जल, दूध, घी, शहद और अन्य पवित्र पदार्थों से अभिषेक किया जाता है, जिसे रुद्राभिषेक कहा जाता है। रुद्राभिषेक मंत्र अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जावान माने जाते हैं। इन मंत्रों के जाप से भगवान शिव की असीम करुणा और आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होते हैं। लखनऊ में यह अनुष्ठान विशेषज्ञ पंडितों द्वारा शास्त्रीय विधि-विधान से संपन्न कराया जाता है। रुद्राभिषेक मंत्र कोई एक मंत्र नहीं है, बल्कि यह मंत्रों का एक संग्रह है, जिसे 'शुक्लयजुर्वेदीय रुद्र अष्टाध्यायी' कहा जाता है। इसे 'रुद्र अष्टाध्यायी' या 'रुद्री पाठ' के नाम से भी जाना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी और सटीक उपाय माना जाता है। जब इन मंत्रों का सही उच्चारण करके जाप या पाठ किया जाता है, तो भगवान शिव भक्तों पर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं, सभी दुख-दर्द दूर करते हैं और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि प्रदान करते हैं। रुद्र अष्टाध्यायी के अनुसार, भगवान शिव को रुद्र कहा जाता है और रुद्र ही शिव हैं। शास्त्रों में कहा गया है — "रुतं दुःखं, द्रावयति नाशयति इति रुद्रः" अर्थात, भगवान शिव जो रुद्र रूप में विराजमान हैं, वे हमारे सभी दुखों और कष्टों को शीघ्रता से दूर कर देते हैं।

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📿 मंत्र उच्चारण का महत्व

"ॐ नमः शिवाय" का जाप मानसिक शांति, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। यह पंचाक्षरी मंत्र रुद्राभिषेक का मुख्य स्तम्भ होता है।

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:। रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:। ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।

अर्थात भगवान रूद्र ही जग सृष्टिकर्ता ब्रह्मा तथा जग पालन पोषण करता विष्णु हैं और सभी देवता रुद्र के ही अंश हैं। इस सम्पूर्ण चराचर जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।

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